सितार क्लास द्वारका में – भारतीय शास्त्रीय संगीत की आत्मा को जानिए
सितार भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक अत्यंत मधुर और आत्मीय वाद्ययंत्र है।
“सितार” शब्द फारसी भाषा के शब्द “सेह तार” (Seh Taar) से बना है, जिसका अर्थ है “तीन तार वाला वाद्ययंत्र।”
हालांकि प्रारंभ में इसमें केवल तीन मुख्य तार होते थे, लेकिन आज के आधुनिक सितार में 18 से 21 तार होते हैं — जिनमें कुछ मुख्य तार और कुछ सहायक (गूँज देने वाले) तार शामिल हैं, जो इसके अद्भुत और गूंजते हुए स्वर उत्पन्न करते हैं।
महान कलाकारों जैसे पंडित रवि शंकर और पंडित निखिल बनर्जी ने इस वाद्य को विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई और भारतीय संगीत की आत्मा को विश्वभर में पहुँचाया। उनकी प्रतिभा ने यह सिद्ध किया कि सितार केवल एक वाद्य नहीं, बल्कि एक भावनात्मक अनुभव है।
लेकिन आज के समय में जहाँ कीबोर्ड, तबला या गायन सीखने के लिए आसानी से शिक्षक मिल जाते हैं, वहीं सितार शिक्षक मिलना काफी कठिन है। इसी कारण से बहुत से विद्यार्थी इस वाद्य को सही मार्गदर्शन के अभाव में नहीं सीख पाते।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए, अनहद नाद फाउंडेशन ने यह पहल की कि लोगों तक सितार शिक्षा आसानी से पहुँचे। इस प्रयास में हम अत्यंत आभारी हैं श्री उमाशंकर जी के, जो एक प्रसिद्ध ऑल इंडिया रेडियो कलाकार और निपुण सितार वादक हैं। उन्होंने हमारे अनुरोध को स्वीकार किया और यहाँ सितार क्लासेस शुरू कीं।
उनके मार्गदर्शन में विद्यार्थी अब सीख सकते हैं —
- सितार बजाने की बुनियादी और उन्नत तकनीकें
- राग, ताल और आलाप की गहराई
- गुरु–शिष्य परंपरा के अनुसार सीखने का अनुभव
- प्रस्तुतियों और परीक्षाओं में भाग लेने का अवसर
हम सभी संगीत प्रेमियों से आग्रह करते हैं कि वे सितार की अद्भुत दुनिया को जानें और सीखें।
अनहद नाद फाउंडेशन, द्वारका में हमारे ऑनलाइन और ऑफलाइन सितार क्लासेस से जुड़ें और भारतीय संगीत की इस धरोहर को आत्मसात करें।
📍 स्थान: अनहद नाद फाउंडेशन, कन्हा रेजीडेंसी, DDA प्लॉट-4, इस्कॉन मंदिर के पीछे, द्वारका सेक्टर 13, नई दिल्ली – 110078
